अमेरिकी विमानन वकील और पूर्व परिवहन निरीक्षक मैरी शियावो ने दावा किया है कि Ahmedabad हवाई हादसे में शामिल Air India फ्लाइट AI-171 Boeing 787 Dreamliner में सॉफ़्टवेयर ट्रिगरित थ्रस्ट रोलबैक ने बड़ा रोल निभाया हो सकता है। उनका कहना है कि FADEC सिस्टम (Full Authority Digital Engine Control) ने गलती से तर्क दिया कि विमान अभी जमीन पर है, जिसके कारण दोनों इंजन अचानक ‘आईडल’ स्थिति में चले गए।
ऐसे झटके से विमान टेकऑफ़ के कुछ ही पलों में उठान खो सकता है और दुर्घटना अपरिहार्य हो जाती है। शियावो ने जांचकर्ताओं से आग्रह किया है कि वे FADEC के लॉग और TCMA (Thrust Control Malfunction Accommodation) डेटा की गंभीरता से पड़ताल करें।
2019 के ANA मामले से समानता
मैरी शियावो ने 2019 में Japan Air Nippon Airways के साथ Boeing 787 में घटित उस घटना का उदाहरण दिया, जहाँ इंजन थ्रस्ट अपने आप गिर गया था। उस समय NTSB ने Boeing की सॉफ़्टवेयर डिज़ाइन में खामी पाई थी और सुधारात्मक निर्देश जारी किए थे। लेकिन उनके अनुसार, उन निर्देशों को सभी विमानन कंपनियाँ योजनाबद्ध रूप से पूर्णतः लागू नहीं कर पाईं।
उनका दावा है कि अगर 787 वाले सभी विमानों में बाद में सॉफ़्टवेयर अपडेट सही से इंस्टॉल कर दिए गए होते, तो यह हादसा रोका जा सकता था।
Boeing की जांच और पारदर्शिता पर सवाल
शियावो ने Boeing के बीते 737 MAX MCAS विवाद का हवाला देते हुए संदेह जताया कि कंपनी सुरक्षा खामियों के बारे में पूरी पारदर्शिता नहीं अपनाती। उन्होंने कहा कि अगर Boeing खुद जांच में शामिल है, तो यह पक्षपात हो सकता है।
उन्होंने भारत के DGCA और जांच अधिकारियों से आग्रह किया है कि निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच संभव बने — जिसमें Boeing के अलावा किन्हीं बाहरी तकनीकी विशेषज्ञों को भी शामिल किया जाए।
पीड़ित परिवारों के लिए सिफ़ारिशें
मैरी शियावो का मानना है कि पीड़ित परिवारों को जांच में सक्रिय भूमिका चाहिए। वे लगातार अपडेट मांगें, सवाल खड़े करें और Boeing या अन्य पक्षों से अस्पष्ट जवाबों को चुनौती दें। उनका कहना है: ‘फैमिली प्रेशर helps bring accountability’— यानी पारिवारिक दबाव से ही निष्पक्षता सुनिश्चित हो सकती है।
Boeing 787 के FADEC और TCMA सॉफ़्टवेयर की गड़बड़ी की आशंका एक गंभीर विषय है। अगर यह साबित हो जाए, तो आज का हादसा सिर्फ एक त्रासदी नहीं, बल्कि एयरक्राफ्ट सॉफ्टवेयर सुरक्षा की बड़ी चेतावनी बन सकता है। जांच की निष्पक्षता सुनिश्चित करने से भविष्य में इसी तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सकती है।