नई दिल्ली। भारतीय उद्योग जगत के दिग्गज, अडानी समूह ने अगले पांच वर्षों में लगभग 100 अरब डॉलर के पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) की एक महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा की है। समूह के चेयरमैन गौतम अडानी ने इस निवेश को भारत के निजी क्षेत्र के इतिहास में अभूतपूर्व बताया है, जिसका लक्ष्य देश के विकास को गति देना है। यह विशाल निवेश ऊर्जा, बुनियादी ढांचे, लॉजिस्टिक्स और डिजिटल सेवाओं जैसे प्रमुख क्षेत्रों में समूह की उपस्थिति का विस्तार करेगा।
ऊर्जा क्षेत्र में क्रांति का लक्ष्य
इस निवेश योजना का एक बड़ा हिस्सा ऊर्जा परिवर्तन (Energy Transition) के लिए समर्पित है। समूह का लक्ष्य 2030 तक अपनी कुल बिजली उत्पादन क्षमता को 100 गीगावाट तक पहुंचाना है। इसमें तापीय, नवीकरणीय और पंप-हाइड्रो स्रोतों का मिश्रण शामिल होगा। अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (AGEL) गुजरात के खावड़ा में दुनिया का सबसे बड़ा नवीकरणीय ऊर्जा पार्क बना रही है, जिसका लक्ष्य 2030 तक 50 गीगावाट क्षमता हासिल करना है।इसके साथ ही, समूह का लक्ष्य दुनिया के सबसे सस्ते ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करना भी है। अडानी न्यू इंडस्ट्रीज अगले वित्तीय वर्ष तक 10 गीगावाट की एकीकृत सौर मॉड्यूल निर्माण सुविधा स्थापित करने की दिशा में काम कर रही है।
बुनियादी ढांचे का चौतरफा विकास
ऊर्जा के अलावा, अडानी समूह का निवेश हवाई अड्डों, बंदरगाहों, सीमेंट और शहरी विकास जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी होगा। समूह इस साल के अंत में नवी मुंबई हवाई अड्डे का संचालन शुरू कर देगा, जिसकी क्षमता 2040 तक 90 मिलियन यात्रियों की होने का अनुमान है। अडानी पोर्ट्स अपनी कार्गो क्षमता को 2026 तक 580 मिलियन टन तक विस्तारित करने की योजना बना रहा है, जिससे भारत के सबसे बड़े निजी बंदरगाह ऑपरेटर के रूप में इसकी स्थिति और मजबूत होगी।
समूह की सीमेंट उत्पादन क्षमता भी 100 मिलियन टन प्रति वर्ष को पार कर गई है और वित्त वर्ष 2027-28 तक इसे 140 मिलियन टन प्रति वर्ष तक ले जाने का लक्ष्य है। इसके अलावा, अडानी समूह मुंबई में धारावी पुनर्विकास परियोजना पर भी काम कर रहा है, जिसे एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती का कायाकल्प करने वाली भारत की सबसे महत्वाकांकांक्षी शहरी पुनर्वास परियोजना के रूप में देखा जा रहा है।
यह भारी-भरकम निवेश योजना अडानी समूह की भारत के विकास की कहानी में एक प्रमुख भूमिका निभाने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। समूह का लक्ष्य न केवल अपने व्यवसायों का विस्तार करना है, बल्कि भारत के बुनियादी ढांचे को मजबूत करना और देश को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण योगदान देना है।