पुणे बेंगलुरु ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे: 700 किमी की यात्रा अब सिर्फ 7 घंटे में! जानें पूरी जानकारी

Nitesh Patel
By Nitesh Patel 10 Min Read
10 Min Read

पुणे और बेंगलुरु भारत के सबसे महत्वपूर्ण और तेजी से बढ़ते शहरों में से हैं। बेंगलुरु को देश का आईटी हब (IT Hub) माना जाता है, जबकि पुणे भी आईटी और शिक्षा के क्षेत्रों में तेजी से वृद्धि देख रहा है। दोनों शहर हाई-टेक मेट्रो सुविधाओं, विश्व स्तरीय हवाई अड्डों और उत्कृष्ट सड़कों का दावा करते हैं, जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।

वर्तमान में, इन दो आर्थिक दिग्गजों के बीच यात्रा करने में अधिक समय लगता है। इस चुनौती को दूर करने के लिए, भारत सरकार ने पुणे बेंगलुरु ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे नामक एक महत्वाकांक्षी 8-लेन एक्सेस-कंट्रोल्ड ग्रीनफील्ड हाईवे का प्रस्ताव किया है।

यह परियोजना भारतमाला परियोजना (Bharatmala Pariyojana) चरण-II का एक हिस्सा है और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा विकसित की जा रही है। यह नया कॉरिडोर मौजूदा NH-48 के मुकाबले एक वैकल्पिक और तेज मार्ग होगा, जिससे न केवल यात्रा का समय घटेगा, बल्कि दोनों राज्यों (महाराष्ट्र और कर्नाटक) के आर्थिक विकास को भी गति मिलेगी।

2019 में, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इस परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए राज्य और केंद्र दोनों सरकारों से अनुमोदन प्राप्त किया था। यह एक्सप्रेसवे दिसंबर 2028 तक पूरा होने की उम्मीद है और इसकी अनुमानित लागत लगभग ₹50,000 करोड़ या उससे अधिक है। यह 700 किलोमीटर लंबा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे होगा।

पुणे बेंगलुरु ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे: प्रमुख तथ्य और आंकड़े (Key Facts and Figures)

यह एक्सप्रेसवे उच्च गति क्षमता और एक्सेस-कंट्रोल्ड प्रकृति के कारण एक गेम-चेंजर साबित होगा।

विशेषता (Feature) विवरण (Details)
एक्सप्रेसवे का नाम पुणे बेंगलुरु एक्सप्रेसवे (Pune Bangalore Expressway)
एक्सप्रेसवे का प्रकार ग्रीनफील्ड, एक्सेस-कंट्रोल्ड
अनुमानित लंबाई लगभग 700 किलोमीटर
लेनों की संख्या 8-लेन
स्वामी (Owner) NHAI (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण)
अनुमानित लागत लगभग ₹50,000 करोड़ या उससे अधिक
अधिकतम गति सीमा 120 किमी प्रति घंटा
परियोजना की घोषणा 2020-2021
प्रस्तावित पूर्णता तिथि दिसंबर 2028 के अंत तक

पुणे बेंगलुरु एक्सप्रेसवे का रूट मैप (Pune Bengaluru Expressway Route Map)

पुणे बेंगलुरु एक्सप्रेसवे महाराष्ट्र और कर्नाटक में एक नियोजित एक्सेस-कंट्रोल्ड ग्रीनफील्ड हाईवे है। यह भारतमाला परियोजना चरण-II का हिस्सा है और कुल 12 जिलों से होकर गुजरेगा। इनमें से तीन जिले महाराष्ट्र में और नौ जिले कर्नाटक में स्थित हैं।

महाराष्ट्र में रूट और जिले (Route and Districts in Maharashtra)

महाराष्ट्र में, पुणे से बेंगलुरु एक्सप्रेसवे पुणे रिंग रोड पर कंजले (Kanjle) से शुरू होगा। यह निम्नलिखित तीन जिलों से होकर गुजरेगा:

1. पुणे (Pune)

2. सतारा (Satara)

3. सांगली (Sangli)

कर्नाटक में रूट और जिले (Route and Districts in Karnataka)

कर्नाटक में यह एक्सप्रेसवे अथानी तालुक के बोमनल (Bommanal) से शुरू होगा। यह निम्नलिखित जिलों से होकर गुजरेगा:

  • बेलगावी जिला (Athani)
  • जामखंडी (Jamakhandi)
  • बागलकोट (Bagalkot)
  • बादामी (Badami)
  • मुधोल (Mudhol)
  • नारगुंड (Nargund)
  • गदग जिला (Ron)
  • येलाबुर्गा, कोप्पल जिला (Yelaburga, Koppal District)
  • विजयनगर जिला (Kudligi)
  • दावणगेरे (Jagaluru)
  • चित्रदुर्ग तालुक (Chitradurga Taluk)
  • मादुगिरी (Madhugiri)
  • कोरटागेरे (Koratagere)
  • तुमकुऱु जिला (Tumakuru District)
  • बेंगलुरु ग्रामीण जिला (Rural Bangalore), जिसमें डोड्डाबल्लापुर (Doddalballpur) शामिल है।

यह एक्सप्रेसवे नेलमंगला (Nelamangala) में बेंगलुरु सैटेलाइट रिंग रोड से जुड़ेगा।

यात्रा के समय और दूरी में क्रांतिकारी कमी (Revolutionary Reduction in Travel Time and Distance)

यह 700 किलोमीटर लंबा एक्सप्रेसवे पुणे और बेंगलुरु के बीच की दूरी को कम करने की उम्मीद है। पुणे की ओर से, यह एक्सप्रेसवे मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे से भी जुड़ेगा।

विशेषता (Feature) मौजूदा मार्ग (NH-48) पुणे बेंगलुरु एक्सप्रेसवे
मार्ग का प्रकार व्यस्त राष्ट्रीय राजमार्ग, सीमित एक्सेस, शहरी क्षेत्रों से गुजरता है एक्सेस-कंट्रोल्ड ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे, प्रमुख शहरों को बाईपास करता है
दूरी लगभग 837 किमी लगभग 700 किमी (लगभग 95 किमी की बचत)
यात्रा का समय 11 से 15 घंटे के बीच घटकर केवल 7 घंटे तक होने की उम्मीद
गति सीमा असंगत, शहरी यातायात के कारण अनियमित 120 किमी/घंटा की सुसंगत अधिकतम गति
लेन चार-लेन राजमार्ग 8-लेन एक्सेस-कंट्रोल्ड कॉरिडोर

पुणे से बेंगलुरु तक की वर्तमान यात्रा में लगभग 15 घंटे लगते हैं, लेकिन एक्सप्रेसवे के चालू होने के बाद यह दूरी केवल 7 घंटे में तय की जा सकेगी।

परियोजना की विशिष्टताएँ और उन्नत बुनियादी ढाँचा (Project Specifications and Advanced Infrastructure)

पुणे बेंगलुरु ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे को उच्च सुरक्षा और निर्बाध यातायात प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है:

  • इंटरचेंज और फ्लाईओवर: यातायात को ज्यादा न रोकना पड़े, यह सुनिश्चित करने के लिए लगभग 22 स्थानों पर इंटरचेंज और 55 फ्लाईओवरों का निर्माण किया जाएगा।
  • रोड ओवर ब्रिज (ROBs): रेलवे ट्रैक या अन्य प्रमुख सड़कों को सुरक्षित रूप से पार करने के लिए 6 रोड ओवर ब्रिज (ROBs) बनाए जाएंगे।
  • नदी पारगमन (River Crossings): एक्सप्रेसवे लगभग 10 नदियों को पार करेगा, जिनमें नीरा (Nira), येरला (Yerala), चाँद नदी (Chand Nadi), अग्रानी (Agrani), कृष्णा (Krishna), घाटप्रभा (Ghataprabha), मालप्रभा (Malaprabha), तुंगभद्रा (Tungabhadra), चिक्का हागर (Chikka Hagar) और वेदवती (Vedavathi) शामिल हैं।
  • आपातकालीन हवाई पट्टियाँ (Emergency Airstrips): बेंगलुरु और पुणे के पास 5 किलोमीटर लंबाई की दो आपातकालीन हवाई पट्टियां भी होंगी।
  • मध्यपटिका और विस्तार: यातायात को सुरक्षित रखने और भविष्य में विस्तार की अनुमति देने के लिए केंद्र में 15 मीटर चौड़ा डिवाइडर (median) बनाया जाएगा। सरकार 100 मीटर राइट ऑफ वे (ROW) रखने की भी योजना बना रही है, ताकि जरूरत पड़ने पर सड़क को बाद में चौड़ा किया जा सके।
  • आधुनिक सुविधाएँ: इसमें मुख्य टोल प्लाजा, रैंप-प्रकार के टोल पोस्ट, सीसीटीवी निगरानी कैमरे, आपातकालीन कॉल बॉक्स, ईंधन स्टेशन और उन्नत यातायात प्रबंधन प्रणाली जैसी सुविधाएं शामिल होंगी।

आर्थिक प्रभाव और रियल एस्टेट पर असर (Economic Impact and Real Estate Effect)

पुणे बेंगलुरु एक्सप्रेसवे आर्थिक और क्षेत्रीय विकास के लिए नए रास्ते खोलेगा।

आर्थिक विकास और लॉजिस्टिक्स (Economic Growth and Logistics)

बेंगलुरु और पुणे दोनों भारत की वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, विशेष रूप से प्रौद्योगिकी उद्योग और नवाचार को बढ़ावा देकर।

  • आर्थिक उछाल: बेहतर परिवहन सुविधाओं से वस्तुओं और सेवाओं का तेज और सुचारु हस्तांतरण सुनिश्चित होता है। इससे न केवल दोनों शहरों के बीच, बल्कि आसपास के क्षेत्रों में भी व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।
  • लॉजिस्टिक्स में वृद्धि: एक्सेस-कंट्रोल्ड एक्सप्रेसवे कार्गो के तेज और अधिक कुशल परिवहन को सक्षम करेगा, जिससे लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में उछाल आएगा।
  • भीड़भाड़ में कमी: यह मौजूदा राजमार्गों को भीड़भाड़ से मुक्त करेगा, जिस पर मुंबई, पुणे, गुजरात, नासिक, कोल्हापुर और सतारा से यातायात होता है।

क्षेत्रीय और रियल एस्टेट विकास (Regional and Real Estate Development)

  • पिछड़े क्षेत्रों को लाभ: एक्सप्रेसवे पश्चिमी महाराष्ट्र के सूखाग्रस्त क्षेत्रों और कर्नाटक के कम विकसित क्षेत्रों से भी होकर गुजरेगा, जिससे इन क्षेत्रों के निवासियों को महत्वपूर्ण लाभ मिलेगा।
  • शहरी विकास: यह एक्सप्रेसवे अपने मार्ग के साथ औद्योगिक हब, नए आवासीय क्षेत्र और वाणिज्यिक हब के विकास को बढ़ावा देने की क्षमता रखता है। इससे निवेश आकर्षित होगा और अधिक रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
  • रियल एस्टेट पर प्रभाव: बेहतर बुनियादी ढांचे से आस-पास के क्षेत्रों के आवासीय और वाणिज्यिक रियल एस्टेट बाजार में बड़े बदलाव आने की उम्मीद है। नासिक, कोल्हापुर और सतारा जैसे क्षेत्रों में संपत्ति की कीमतों में वृद्धि की उम्मीद है, जिससे इन क्षेत्रों में निवेश से भविष्य में सकारात्मक रिटर्न मिल सकता है।

वर्तमान स्थिति और पूर्णता की समय सीमा (Current Status and Completion Timeline)

पुणे बेंगलुरु एक्सप्रेसवे परियोजना को राज्य सरकार द्वारा अनुमोदित किया गया है, लेकिन इसे अभी भी केंद्र सरकार से अंतिम मंजूरी का इंतजार है। एक्सप्रेसवे की मूल योजना और रूट मैप को अंतिम रूप दे दिया गया है। विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार की जा रही है, और जल्द ही निर्माण के लिए बोलियां आमंत्रित की जाएंगी।

  • भूमि अधिग्रहण की स्थिति: केंद्र सरकार द्वारा परियोजना को मंजूरी देने के तुरंत बाद भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया शुरू होने की उम्मीद है।
  • समय सीमा: अधिकारियों के अनुसार, पुणे-बेंगलुरु एक्सप्रेसवे के 2028 के अंत तक पूरा होने और जनता के लिए खोले जाने की उम्मीद है।
  • यह एक्सेस-कंट्रोल्ड एक्सप्रेसवे दिल्ली-चेन्नई एक्सप्रेसवे जैसे प्रस्तावित महत्वपूर्ण कनेक्टिविटी लिंक के रूप में भी कार्य करेगा।

निष्कर्ष: भविष्य की कनेक्टिविटी का आधार

पुणे बेंगलुरु ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे भारत की सबसे बहुप्रतीक्षित एक्सप्रेसवे परियोजनाओं में से एक है। यह ढाँचागत विकास न केवल निवासियों, बल्कि दोनों क्षेत्रों के रियल एस्टेट और आर्थिक क्षेत्रों को भी लाभ पहुँचाने वाला है। एक बार पूरा हो जाने पर, यह महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच वाणिज्यिक परिवहन और आर्थिक विस्तार को सुगम बनाएगा, जिससे दोनों शहरों के बीच की दूरी लगभग आधी हो जाएगी। यह उन लोगों को बेहतर पहुंच प्रदान करेगा जो बेंगलुरु में रहते हैं और शिरडी (महाराष्ट्र) जैसे तीर्थ क्षेत्रों की यात्रा करना चाहते है।

Share This Article
Follow:
नितेश पटेल एक समर्पित पत्रकार और Infra News India के संस्थापक हैं। उन्होंने इस डिजिटल प्लेटफॉर्म की स्थापना भारत में बुनियादी ढांचे और विकास परियोजनाओं की गहराई से रिपोर्टिंग के उद्देश्य से की। नितेश का लक्ष्य है भारत में चल रही सड़कों, रेलवे, ऊर्जा और शहरी परियोजनाओं से जुड़ी हर महत्वपूर्ण जानकारी को पाठकों तक सरल, विश्वसनीय और तथ्य-आधारित तरीके से पहुँचाना। उनकी लेखनी में तकनीकी समझ, नीतिगत विश्लेषण और आम जनता से जुड़ाव की स्पष्ट झलक मिलती है। वह देश के विकास से संबंधित हर पहलू पर गहरी नजर रखते हैं और इन विषयों पर लगातार शोध और रिपोर्टिंग करते हैं। उनका मानना है कि सूचना का प्रसार ही सशक्त समाज का निर्माण करता है।
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *