अमृतसर-जामनगर एक्सप्रेसवे, भारत की सबसे महत्वाकांक्षी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में से एक, तेजी से अपने अंतिम चरण की ओर बढ़ रहा है। यह 1,257 किलोमीटर लंबा छह-लेन वाला एक्सप्रेसवे, जिसे भारतमाला परियोजना के तहत विकसित किया जा रहा है, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात को जोड़ेगा। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के अनुसार, इस परियोजना का लगभग 85% निर्माण कार्य पूरा हो चुका है, और इसे दिसंबर 2025 तक पूरी तरह से चालू करने का लक्ष्य है।
परियोजना का अवलोकन
यह एक्सप्रेसवे, जिसे आर्थिक गलियारा-3 (ईसी-3) के रूप में भी जाना जाता है, अमृतसर के कपूरथला जिले के टिब्बा गांव से शुरू होकर जामनगर में समाप्त होगा। यह 915.85 किलोमीटर ग्रीनफील्ड संरेखण पर बनाया जा रहा है, जबकि शेष हिस्सा मौजूदा राष्ट्रीय राजमार्गों का उन्नयन है। इस परियोजना की कुल लागत लगभग 80,000 करोड़ रुपये है, जिसमें भूमि अधिग्रहण की लागत भी शामिल है।
हाल के अपडेट
हाल ही में, 17 दिसंबर 2024 को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान में इस एक्सप्रेसवे के 27.1 किलोमीटर लंबे छह-लेन वाले ग्रीनफील्ड खंड (दियोगढ़ से राजस्थान-गुजरात सीमा) का उद्घाटन किया। इस खंड से अमृतसर और जामनगर के बीच यात्रा समय में कमी आएगी और यह गुजरात, राजस्थान और पंजाब में प्रमुख रिफाइनरियों को जोड़ेगा। इसके अलावा, राजस्थान में 500 किलोमीटर से अधिक का खंड, जो हनुमानगढ़ जिले के झखरावली गांव से जालौर जिले के खेतलवास तक फैला है, पहले ही चालू हो चुका है।
हालांकि, कुछ चुनौतियां भी सामने आई हैं। एक्स पर कुछ पोस्ट्स में इस एक्सप्रेसवे की स्थिति पर सवाल उठाए गए हैं, जिसमें पहले मानसून के बाद सड़क की गुणवत्ता और मवेशियों की मौजूदगी जैसी समस्याएं शामिल हैं। एनएचएआई ने इन मुद्दों को संबोधित करने का वादा किया है ताकि यात्रियों को सुरक्षित और सुगम अनुभव मिले।
आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
यह एक्सप्रेसवे न केवल यात्रा समय को 26 घंटे से घटाकर 13 घंटे कर देगा, बल्कि यह भारत के तीन प्रमुख तेल रिफाइनरियों—बठिंडा, बाड़मेर और जामनगर—को जोड़ेगा। यह गुरु नानक देव थर्मल प्लांट (बठिंडा) और सूरतगढ़ सुपर थर्मल पावर प्लांट को भी जोड़ेगा, जिससे औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा, यह सात प्रमुख बंदरगाहों—कांडला, मांडवी, नवलखी, बेदी, सिक्का, जोडिया और ओखा—तक पहुंच को आसान बनाएगा।
एक्सप्रेसवे से अमृतसर, बठिंडा, मोगा, हनुमानगढ़, सूरतगढ़, बीकानेर, नागौर, जोधपुर, बाड़मेर और जामनगर जैसे शहरों में व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। यह दिल्ली-कटरा एक्सप्रेसवे के साथ भी जुड़ेगा, जिससे गुजरात से कश्मीर तक की यात्रा आसान हो जाएगी।
निर्माण की प्रगति
परियोजना को आठ खंडों और 30 पैकेजों में विभाजित किया गया है, जिसमें पांच ग्रीनफील्ड और तीन ब्राउनफील्ड उन्नयन शामिल हैं। पंजाब में 154.866 किलोमीटर का अमृतसर-बठिंडा खंड पूरी तरह से ग्रीनफील्ड है, और गुजरात में वांतदौ से रणमालपुरा तक 125.185 किलोमीटर का खंड भी छह-लेन वाला ग्रीनफील्ड है। निर्माण कार्य में उन्नत तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है, जैसे कि बिटुमेन सड़क सतह, जो लचीलापन और स्थायित्व प्रदान करती है।
अमृतसर-जामनगर एक्सप्रेसवे भारत के बुनियादी ढांचे के विकास में एक मील का पत्थर साबित होगा। यह न केवल परिवहन लागत को कम करेगा, बल्कि क्षेत्रीय विकास, व्यापार और पर्यटन को भी बढ़ावा देगा। हालांकि, सड़क की गुणवत्ता और रखरखाव से संबंधित चिंताओं को दूर करना एनएचएआई के लिए महत्वपूर्ण होगा ताकि यह परियोजना अपनी पूरी क्षमता को प्राप्त कर सके।
यह एक्सप्रेसवे भारत की प्रगति और कनेक्टिविटी के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है। दिसंबर 2025 में इसके पूरा होने पर, यह उत्तर और पश्चिम भारत के बीच एक नया आर्थिक गलियारा बनाएगा, जो देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देगा।