मुंबई, 11 जून 2025: अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर ने भारतीय रक्षा क्षेत्र में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। कंपनी की रक्षा इकाई, रिलायंस डिफेंस, ने जर्मनी की प्रमुख रक्षा कंपनी डीहल डिफेंस के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत किया है। इस साझेदारी का उद्देश्य भारतीय सशस्त्र बलों के लिए अत्याधुनिक टर्मिनली गाइडेड म्यूनिशन (TGM) और वुल्कानो 155 मिमी प्रेसिजन-गाइडेड गोला-बारूद का उत्पादन करना है।
यह साझेदारी 2019 में शुरू हुए सहयोग समझौते का विस्तार है, जिसके तहत दोनों कंपनियां अब ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत भारत में स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करेंगी। रिलायंस डिफेंस इस परियोजना में मुख्य ठेकेदार की भूमिका निभाएगा, जबकि डीहल डिफेंस रणनीतिक साझेदार के रूप में तकनीकी विशेषज्ञता प्रदान करेगा। इस परियोजना में 50% से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया जाएगा, जो भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता को और मजबूत करेगा।
रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर ने महाराष्ट्र के रत्नागिरी में वटद औद्योगिक क्षेत्र में एक ग्रीनफील्ड विनिर्माण सुविधा स्थापित करने की योजना बनाई है। इस सुविधा में प्रतिवर्ष 2,00,000 आर्टिलरी गोले, 10,000 टन विस्फोटक और 2,000 टन प्रणोदक (प्रोपेलेंट) का उत्पादन करने की क्षमता होगी। कंपनी ने इस परियोजना के लिए अगले पांच वर्षों में 5,000 करोड़ रुपये के निवेश की योजना बनाई है, जिससे न केवल रक्षा क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, बल्कि भारत की वैश्विक रक्षा आपूर्ति श्रृंखला में भी महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
रिलायंस ग्रुप के संस्थापक और अध्यक्ष अनिल अंबानी ने इस साझेदारी को भारत के रक्षा विनिर्माण क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा, “यह रणनीतिक गठबंधन न केवल भारत की रक्षा विनिर्माण क्षमताओं को तेज करेगा, बल्कि रिलायंस डिफेंस को वैश्विक रक्षा आपूर्ति श्रृंखला में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में स्थापित करेगा।”
डीहल डिफेंस के सीईओ हेल्मुट राउच ने इस सहयोग पर उत्साह व्यक्त करते हुए कहा कि यह साझेदारी भारत की रक्षा आधुनिकीकरण योजनाओं में योगदान देगी और दोनों कंपनियों के लिए दीर्घकालिक अवसर पैदा करेगी। यह रिलायंस ग्रुप की चौथी प्रमुख वैश्विक रक्षा साझेदारी है, जो पहले से ही डसॉल्ट एविएशन, थेल्स ग्रुप और राइनमेटल के साथ सहयोग कर रही है।
विश्लेषकों का मानना है कि इस साझेदारी से रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर को अगले दशक में रक्षा मंत्रालय से 10,000 करोड़ रुपये का कारोबार प्राप्त हो सकता है। इसके अलावा, कंपनी यूरोपीय संघ और दक्षिण-पूर्व एशिया के बाजारों में रक्षा निर्यात के अवसरों का भी लाभ उठाने की योजना बना रही है।
इस घोषणा के बाद रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर के शेयरों में भी उछाल देखा गया। बुधवार को शेयर बाजार में कंपनी के शेयरों ने शुरुआती नुकसान को पलटते हुए 1% की बढ़त दर्ज की। यह साझेदारी न केवल रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए, बल्कि भारत के निजी रक्षा क्षेत्र के लिए भी एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकती है।
यह कदम भारत सरकार की उस नीति के अनुरूप है, जो रक्षा क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी और विदेशी साझेदारी को प्रोत्साहित करती है, ताकि आयात पर निर्भरता कम हो और स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा मिले। रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर की यह पहल भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक और कदम है।