वधावन बंदरगाह: 2029 तक चालू होगा भारत का सबसे बड़ा डीप-वाटर पोर्ट

Nitesh Patel
By Nitesh Patel 6 Min Read
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पालघर, 12 जून 2025: महाराष्ट्र के पालघर जिले में वधावन बंदरगाह, भारत का पहला मेगा डीप-वाटर बंदरगाह, तेजी से निर्माण की ओर बढ़ रहा है। 76,220 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला यह ग्रीनफील्ड बंदरगाह, भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (IMEC) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। 30 अगस्त 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इसकी आधारशिला रखे जाने के बाद, परियोजना ने गति पकड़ ली है, और इसका पहला चरण 2029 तक पूरा होने की उम्मीद है।

परियोजना की मुख्य विशेषताएं

वधावन बंदरगाह का निर्माण ज्वाहरलाल नेहरू पोर्ट अथॉरिटी (JNPA) और महाराष्ट्र मैरीटाइम बोर्ड (MMB) द्वारा गठित वधावन पोर्ट प्रोजेक्ट लिमिटेड (VPPL) के तहत किया जा रहा है, जिसमें JNPA की 74% और MMB की 26% हिस्सेदारी है। यह बंदरगाह 20 मीटर की प्राकृतिक गहराई के साथ भारत का सबसे गहरा बंदरगाह होगा, जो 24,000 TEU (ट्वेंटी-फुट इक्विवेलेंट यूनिट) तक के बड़े कंटेनर जहाजों को संभालने में सक्षम होगा।

यह बंदरगाह नौ कंटेनर टर्मिनल (प्रत्येक 1,000 मीटर लंबा), चार मल्टीपर्पज बर्थ, चार लिक्विड कार्गो बर्थ, एक रो-रो बर्थ और एक कोस्ट गार्ड बर्थ से सुसज्जित होगा। यह प्रति वर्ष 298 मिलियन मीट्रिक टन (MMT) कार्गो और 23.2 मिलियन TEU कंटेनर हैंडलिंग क्षमता के साथ भारत के कंटेनर व्यापार को दोगुना करने की क्षमता रखता है। परियोजना का कुल क्षेत्र 17,471 हेक्टेयर है, जिसमें 1,448 हेक्टेयर समुद्र से पुनर्जनन (रेक्लेमेशन) के माध्यम से प्राप्त किया जाएगा।

निर्माण की प्रगति और निवेश

जनवरी 2025 तक, परियोजना ने महत्वपूर्ण प्रगति की है। 1,700 करोड़ रुपये की लागत से तट संरक्षण कार्य शुरू हो चुके हैं, और कोर इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए निविदाएं सितंबर 2025 से पहले खुलने की उम्मीद है। VPPL ने पर्यावरण प्रबंधन योजना की निगरानी के लिए छह कंपनियों से बोलियां आमंत्रित की हैं, जिसकी लागत 4.06 करोड़ रुपये है और इसे तीन वर्षों में पूरा किया जाएगा। पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड ने 27,283 करोड़ रुपये की ऋण वित्तपोषण की पेशकश की है, और जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (JICA) ने भी वित्तीय सहायता में रुचि दिखाई है। इसके अतिरिक्त, रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन (REC) ने JNPA के लिए 45,000 करोड़ रुपये तक की वित्तीय सहायता के लिए एक समझौता किया है, जिसमें वधावन बंदरगाह का विकास शामिल है।

दिसंबर 2024 में, 574 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहण के लिए सर्वेक्षण शुरू हुआ, जिसमें नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI), भारतीय रेलवे और जिला अधिकारियों ने हिस्सा लिया। बंदरगाह को मुंबई-वडोदरा हाईवे से 32 किमी सड़क और डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर से 12 किमी रेल लाइन के माध्यम से जोड़ा जाएगा।

आर्थिक और सामाजिक प्रभाव

वधावन बंदरगाह भारत के व्यापार परिदृश्य को बदलने की क्षमता रखता है। यह महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश के पश्चिमी हिस्सों, और हरियाणा, उत्तर प्रदेश जैसे उत्तरी राज्यों को सेवा प्रदान करेगा। बंदरगाह से लॉजिस्टिक्स लागत में 25% की कमी और उत्तरी क्षेत्रों के लिए 150 किमी की दूरी की बचत होगी। यह 12 लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा करेगा, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।

यह बंदरगाह भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कॉरिडोर (IMEC) और इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्टेशन कॉरिडोर (INSTC) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होगा, Lillington-Burlingame, जिससे वैश्विक व्यापार में भारत की स्थिति मजबूत होगी। यह बंदरगाह सिंगापुर और दुबई जैसे विदेशी बंदरगाहों पर निर्भरता को कम करेगा, जिससे भारतीय निर्यात और आयात अधिक लागत प्रभावी होंगे।

चुनौतियां और विरोध

परियोजना को स्थानीय समुदायों, विशेष रूप से मछुआरों, किसानों और पर्यावरणविदों से विरोध का सामना करना पड़ रहा है, जो विस्थापन और पर्यावरणीय क्षति की आशंका जता रहे हैं। 1997 में पहली बार प्रस्तावित इस परियोजना को कई वर्षों तक देरी का सामना करना पड़ा, लेकिन हाल के वर्षों में केंद्र और राज्य सरकारों के समर्थन से यह गति पकड़ रही है। VPPL ने पर्यावरणीय चिंताओं को संबोधित करने के लिए 26 सर्वेक्षण और अध्ययन किए हैं, और यह बंदरगाह हरित ऊर्जा, तटवर्ती बिजली, और इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग के साथ एक पर्यावरण-अनुकूल परियोजना के रूप में डिज़ाइन किया गया है।

JNPA के अध्यक्ष उन्मेश शरद वाघ के अनुसार, यह बंदरगाह 2034 तक दुनिया के शीर्ष 10 बंदरगाहों में शामिल होगा। पहला चरण 2029 तक चार टर्मिनल और दूसरा चरण 2034 तक पांच अतिरिक्त टर्मिनल पूरा करेगा। यह परियोजना PM गति शक्ति कार्यक्रम के तहत बन रही है और पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल पर आधारित है।

वधावन बंदरगाह न केवल भारत के समुद्री बुनियादी ढांचे को मजबूत करेगा, बल्कि देश को वैश्विक व्यापार में एक प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित करेगा। जैसे-जैसे परियोजना आगे बढ़ रही है, यह भारत के आर्थिक विकास और क्षेत्रीय समृद्धि के लिए एक गेम-चेंजर साबित होने की उम्मीद है।

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