बेंगलुरु RRTS कॉरिडोर: NCRTC ने कर्नाटक सरकार को सौंपा प्रस्ताव

Nitesh Patel
By Nitesh Patel 4 Min Read
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बेंगलुरु, 13 जून 2025: बेंगलुरु और इसके आसपास के उपनगरीय क्षेत्रों में यातायात की भीड़भाड़ को कम करने और क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (NCRTC) ने कर्नाटक सरकार को एक महत्वाकांक्षी प्रस्ताव सौंपा है। इस प्रस्ताव में बेंगलुरु से चार सेमी-हाई-स्पीड क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) कॉरिडोर शुरू करने की योजना शामिल है। ये कॉरिडोर बेंगलुरु को होसकोटे-कोलार, मैसूर, तुमकूर, और होसूर-कृष्णगिरी-धर्मपुरी से जोड़ेंगे।

प्रस्तावित कॉरिडोर और उनकी विशेषताएं

NCRTC ने चार कॉरिडोर की सिफारिश की है, जो निम्नलिखित हैं:

  • बेंगलुरु–होसकोटे–कोलार (65 किमी): यह कॉरिडोर पूर्वी बेंगलुरु को कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।
  • बेंगलुरु–मैसूर (145 किमी): यह कॉरिडोर कर्नाटक के दो प्रमुख शहरों को जोड़ेगा, जिससे यात्रा समय में कमी आएगी।
  • बेंगलुरु–तुमकूर (60 किमी): यह उत्तरी क्षेत्र में कनेक्टिविटी को बढ़ावा देगा।
  • बेंगलुरु–होसूर–कृष्णगिरी–धर्मपुरी (138 किमी): यह कॉरिडोर तमिलनाडु तक विस्तारित होगा, जो दक्षिण भारत का पहला अंतर-राज्यीय RRTS कॉरिडोर हो सकता है।

इन कॉरिडोर पर नमो भारत ट्रेनें 160 किमी/घंटा की रफ्तार से चलेंगी, जिससे 90 किमी की दूरी मात्र एक घंटे में तय की जा सकेगी। यह दिल्ली-मेरठ RRTS कॉरिडोर की तर्ज पर बनाया जाएगा, जिसका 55 किमी हिस्सा अक्टूबर 2023 से संचालित हो रहा है।

कर्नाटक सरकार और तमिलनाडु के बीच विचार-विमर्श

हालांकि, बेंगलुरु–होसूर–कृष्णगिरी–धर्मपुरी कॉरिडोर को लेकर कर्नाटक और तमिलनाडु सरकारों के बीच मतभेद हैं। तमिलनाडु सरकार बेंगलुरु और होसूर के बीच 23 किमी लंबे मेट्रो कॉरिडोर को प्राथमिकता दे रही है, जबकि कर्नाटक सरकार लागत के कारण इस पर सहमत नहीं है। परिवहन विशेषज्ञों का मानना है कि मेट्रो की तुलना में RRTS या उपनगरीय रेल अधिक व्यवहार्य है, क्योंकि मेट्रो में कम सीटें और अधिक स्टॉपेज होते हैं।

सांसद और जनता की मांग

बेंगलुरु सेंट्रल के सांसद पी.सी. मोहन ने रेलवे से बेंगलुरु-मांड्या-मैसूर, बेंगलुरु-रामनगर, बेंगलुरु-तुमकूर, और बेंगलुरु-कोलार के लिए RRTS कॉरिडोर की व्यवहार्यता अध्ययन करने का अनुरोध किया है। इसके अलावा, सोशल मीडिया पर भी बेंगलुरुवासियों ने इन कॉरिडोर की मांग को जोर-शोर से उठाया है। एक उपयोगकर्ता ने सुझाव दिया कि मैसूर-बेंगलुरु-तुमकूर कॉरिडोर को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

लाभ और भविष्य की संभावनाएं

NCRTC के अधिकारियों का कहना है कि ये कॉरिडोर बेंगलुरु की भीड़ को कम करेंगे, बाजारों तक पहुंच बढ़ाएंगे, और एकल शहरी केंद्र पर निर्भरता को कम करेंगे। दिल्ली-मेरठ नमो भारत कॉरिडोर के उदाहरण से पता चलता है कि सार्वजनिक परिवहन का हिस्सा 37% से बढ़कर 63% हो सकता है, और सड़क यातायात में एक लाख से अधिक निजी वाहनों की कमी हो सकती है।

कर्नाटक रेल इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कंपनी (K-RIDE) ने पहले 452 किमी के उपनगरीय रेल विस्तार का प्रस्ताव रखा था, जिसमें चिक्कबल्लापुर, तुमकूर, होसूर, और मगदी जैसे शहर शामिल थे। विशेषज्ञों का मानना है कि RRTS और उपनगरीय रेल के संयोजन से बेंगलुरु की परिवहन व्यवस्था में क्रांति आ सकती है।

NCRTC ने इन कॉरिडोर के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार करने की पेशकश की है। हालांकि, इन परियोजनाओं को मंजूरी और वित्त पोषण के लिए कर्नाटक और केंद्र सरकार के बीच समन्वय की आवश्यकता होगी। बेंगलुरु के निवासियों को उम्मीद है कि यह प्रस्ताव जल्द ही हकीकत में बदलेगा, जिससे शहर की यातायात समस्याओं का स्थायी समाधान होगा।

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