नई दिल्ली, 11 जून 2025: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में यातायात की समस्या को हल करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए, केंद्र सरकार ने दिल्ली के बहुप्रतीक्षित एलिवेटेड कॉरिडोर परियोजना को मंजूरी दे दी है। इस परियोजना को दिल्ली की सड़कों पर बढ़ते ट्रैफिक जाम और प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए एक गेम-चेंजर माना जा रहा है।
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने इस परियोजना के लिए 5,000 करोड़ रुपये के बजट को हरी झंडी दिखाई है। यह एलिवेटेड कॉरिडोर दिल्ली के प्रमुख व्यस्त मार्गों, जैसे कि रिंग रोड और नेशनल हाइवे-48 को जोड़ेगा, जिससे शहर के भीतर और बाहर आवागमन आसान हो सकेगा। इस परियोजना के तहत 25 किलोमीटर लंबा एलिवेटेड कॉरिडोर बनाया जाएगा, जिसमें छह लेन और आधुनिक सुविधाओं से लैस इंटरचेंज शामिल होंगे।
परियोजना की मुख्य विशेषताएं
- यातायात प्रबंधन: एलिवेटेड कॉरिडोर के निर्माण से सिग्नल-मुक्त यात्रा संभव होगी, जिससे यात्रा का समय 30% तक कम होने की उम्मीद है।
- पर्यावरण संरक्षण: कॉरिडोर के किनारे हरित पट्टी और सौर ऊर्जा से संचालित स्ट्रीट लाइट्स लगाई जाएंगी, जो पर्यावरण संरक्षण में योगदान देंगे।
- आधुनिक तकनीक: परियोजना में स्मार्ट ट्रैफिक मॉनिटरिंग सिस्टम और आपातकालीन सेवाओं के लिए विशेष लेन शामिल होंगी।
दिल्ली के परिवहन मंत्री ने कहा, “यह परियोजना न केवल दिल्लीवासियों के लिए बल्कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) के अन्य शहरों के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह कॉरिडोर न केवल यातायात को सुगम बनाएगा, बल्कि व्यापार और रोजगार के नए अवसर भी पैदा करेगा।”
निर्माण और समयसीमा
परियोजना का निर्माण कार्य अगले छह महीनों में शुरू होने की उम्मीद है, और इसे 2028 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। निर्माण के दौरान यातायात व्यवधान को कम करने के लिए विशेष उपाय किए जाएंगे, जैसे कि वैकल्पिक मार्ग और रात के समय निर्माण कार्य।
हालांकि, कुछ स्थानीय निवासियों और पर्यावरणविदों ने इस परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण और पेड़ों की कटाई को लेकर चिंता जताई है। सरकार ने आश्वासन दिया है कि पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे, जिसमें 10,000 नए पेड़ लगाने की योजना भी शामिल है।
दिल्ली के लिए नई उम्मीद
यह एलिवेटेड कॉरिडोर दिल्ली की यातायात व्यवस्था को आधुनिक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह परियोजना न केवल दिल्ली को एक स्मार्ट शहर के रूप में स्थापित करेगी, बल्कि भारत की राजधानी को वैश्विक स्तर पर एक बेहतर शहरी केंद्र के रूप में भी पेश करेगी।
दिल्लीवासियों को अब उम्मीद है कि यह परियोजना उनके दैनिक जीवन को आसान बनाएगी और शहर को एक नई पहचान देगी।