दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारा: 2025 में प्रगति के साथ भारत बनेगा वैश्विक विनिर्माण हब

Nitesh Patel
By Nitesh Patel 7 Min Read
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नई दिल्ली, 13 जून 2025: दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारा (DMIC), भारत का सबसे महत्वाकांक्षी बुनियादी ढांचा प्रोजेक्ट, 2025 में अपनी प्रगति के साथ देश को वैश्विक विनिर्माण और व्यापार केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। 100 बिलियन डॉलर (लगभग 8.4 लाख करोड़ रुपये) की लागत वाला यह 1,504 किलोमीटर लंबा गलियारा, दिल्ली और मुंबई को जोड़ता है, जो छह राज्यों—उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र—से होकर गुजरता है। जापान के वित्तीय और तकनीकी सहयोग से शुरू हुआ यह प्रोजेक्ट स्मार्ट सिटी, औद्योगिक क्षेत्र और आधुनिक परिवहन नेटवर्क के साथ भारत के आर्थिक परिदृश्य को बदल रहा है।

परियोजना की मुख्य विशेषताएं

DMIC को पश्चिमी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (WDFC) के साथ विकसित किया जा रहा है, जो दादरी (उत्तर प्रदेश) से जवाहरलाल नेहरू पोर्ट (JNPT, मुंबई) तक 1,504 किमी की दूरी को कवर करता है। यह गलियारा नौ मेगा औद्योगिक क्षेत्र, तीन बंदरगाह, छह हवाई अड्डे, एक हाई-स्पीड रेल लाइन, और 4,000 मेगावाट का पावर प्लांट शामिल करता है। इसके अतिरिक्त, यह छह स्मार्ट सिटी विकसित करेगा, जिनमें गुजरात का धोलेरा स्पेशल इनवेस्टमेंट रीजन (DSIR) और महाराष्ट्र का शेंद्रा-बिडकिन औद्योगिक क्षेत्र प्रमुख हैं। परियोजना का लक्ष्य अगले पांच वर्षों में रोजगार को दोगुना, औद्योगिक उत्पादन को तिगुना, और निर्यात को चौगुना करना है।

DMIC का प्रबंधन नेशनल इंडस्ट्रियल कॉरिडोर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (NICDC) द्वारा किया जा रहा है, जिसमें भारत सरकार की 49% हिस्सेदारी, जापान बैंक फॉर इंटरनेशनल कोऑपरेशन (JBIC) की 26% हिस्सेदारी, और शेष सरकारी वित्तीय संस्थानों के पास है। यह परियोजना PM गति शक्ति और राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा कार्यक्रम के तहत भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एकीकृत करने के लिए डिज़ाइन की गई है।

2025 में नवीनतम प्रगति

जनवरी 2025 तक, DMIC ने कई प्रमुख क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति दर्ज की है। गुजरात में धोलेरा SIR और महाराष्ट्र में शेंद्रा-बिडकिन औद्योगिक क्षेत्र में मुख्य बुनियादी ढांचे का कार्य लगभग पूरा हो चुका है, जबकि उत्तर प्रदेश में इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल टाउनशिप (ग्रेटर नोएडा) और मध्य प्रदेश में विक्रम उद्योगपुरी का काम पहले ही पूरा हो चुका है। इन क्षेत्रों में भूमि आवंटन शुरू हो गया है, और HYOSUNG (दक्षिण कोरिया), HAIER (चीन), NLMK (रूस), AMUL, और TATA Chemicals जैसे प्रमुख निवेशकों ने 754 एकड़ में 16,750 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है।

महाराष्ट्र में औरंगाबाद इंडस्ट्रियल सिटी (AURIC), भारत की पहली ग्रीनफील्ड औद्योगिक स्मार्ट सिटी, 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटन की गई थी और अब पूरी तरह से कार्यरत है। मई 2025 तक, DMIC के 24 औद्योगिक नोड्स में से छह गुजरात में हैं, जो रसायन, कपड़ा और ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञता प्राप्त कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त, दिल्ली में द्वारका में एक विश्वस्तरीय प्रदर्शनी और सम्मेलन केंद्र (ECC) का विकास DMICDC की देखरेख में चल रहा है, जिसका 2025 में पूरा होना संभावित है।

चुनौतियां और समाधान

DMIC को भूमि अधिग्रहण और समन्वय संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, विशेष रूप से राजस्थान में खुशखेड़ा-भिवाड़ी-नीमराना और जोधपुर-पाली-मारवाड़ औद्योगिक क्षेत्रों में, जहां भूमि अधिग्रहण में देरी हुई है। गुजरात में धोलेरा SIR में भी कुछ किसानों ने भूमि बिक्री का विरोध किया है, जिसके कारण मामला गुजरात उच्च न्यायालय में है। हालांकि, केंद्र और राज्य सरकारों के बीच बेहतर समन्वय और जापान की तकनीकी सहायता ने परियोजना को गति दी है। 2025 में, परियोजना के लिए 20,084 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया गया है, और जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (JICA) ने मेट्रो और अन्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए 4.5 बिलियन डॉलर की प्रतिबद्धता जताई है।

परियोजना की स्थिरता और पर्यावरणीय पहलुओं पर भी ध्यान दिया जा रहा है। धोलेरा SIR में बिल्डिंग इन्फॉर्मेशन मॉडलिंग (BIM) का उपयोग और सिंगापुर के विशेषज्ञों की सहायता से जल और सीवेज उपचार प्रणाली विकसित की जा रही है। इसके अतिरिक्त, परियोजना में हरित ऊर्जा और स्मार्ट प्रौद्योगिकियों का उपयोग किया जा रहा है ताकि यह पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ हो।

आर्थिक और सामाजिक प्रभाव

DMIC से 180 मिलियन लोगों (देश की 14% आबादी) को लाभ होने की उम्मीद है। यह परियोजना 100 मिलियन रोजगार सृजन करेगी, जिससे ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में आर्थिक समृद्धि बढ़ेगी। यह भारत के विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देगा, विदेशी निवेश को आकर्षित करेगा, और लॉजिस्टिक्स लागत को दुनिया में सबसे कम करने में मदद करेगा। दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे और WDFC जैसे कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स के साथ, यह गलियारा माल और लोगों की आवाजाही को तेज और कुशल बनाएगा, जिससे व्यापार और निर्यात में वृद्धि होगी।

रियल एस्टेट क्षेत्र में भी DMIC का प्रभाव दिखाई दे रहा है। मई 2025 तक, अहमदाबाद और मुंबई जैसे शहरों में आवासीय और वाणिज्यिक संपत्तियों की मांग में 4-5% की वृद्धि दर्ज की गई है। परियोजना के तहत बनने वाली स्मार्ट सिटी, जैसे धोलेरा, शंघाई से छह गुना और दिल्ली से दो गुना बड़े क्षेत्र में विकसित हो रही हैं, जो भारत की शहरीकरण प्रक्रिया को गति दे रही हैं।

DMIC के पहले चरण की कई परियोजनाएं 2025 तक पूरी होने की कगार पर हैं, जबकि दूसरा चरण (2022-2032) औद्योगिक और शहरी विकास को और गति देगा। परियोजना का पूरा होने का लक्ष्य 2040 तक निर्धारित है, जब यह 24 शहरों को लाभ पहुंचाएगा। यह भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में स्थापित करेगा और देश को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य की ओर ले जाएगा।

दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारा केवल एक बुनियादी ढांचा परियोजना नहीं है, बल्कि भारत के आर्थिक और सामाजिक भविष्य को आकार देने वाला एक दृष्टिकोण है। जैसे-जैसे यह परियोजना अपनी मंजिल की ओर बढ़ रही है, यह भारत को वैश्विक विनिर्माण और नवाचार का केंद्र बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगी।

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