6 जून 2025 को, केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने नॉर्वे के ओस्लो में नॉरशिपिंग सम्मेलन में भारत के समुद्री क्षेत्र में 20 अरब डॉलर (लगभग 1.68 लाख करोड़ रुपये) के निवेश की घोषणा की। यह महत्वाकांक्षी योजना भारत को वैश्विक समुद्री व्यापार में एक मजबूत और प्रतिस्पर्धी खिलाड़ी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। लेकिन इस निवेश का असर सिर्फ बड़े बंदरगाहों या व्यापार तक सीमित नहीं है; यह भारत के तटीय समुदायों के लिए एक नया आर्थिक युग ला सकता है। कांडला, तूतीकोरिन और पारादीप जैसे क्षेत्रों में स्थापित होने वाले ग्रीन हाइड्रोजन हब बंदरगाह न केवल पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देंगे, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार और आर्थिक अवसर भी पैदा करेंगे।
तटीय समुदायों के लिए नए अवसर
भारत के तटीय क्षेत्र, विशेष रूप से गुजरात, तमिलनाडु और ओडिशा जैसे राज्यों में, इस निवेश से सबसे अधिक लाभान्वित हो सकते हैं। कांडला बंदरगाह के पास रहने वाले मछुआरे समुदाय, जैसे कि कच्छ के मांडवी गाँव के निवासी, अब तक पारंपरिक मछली पकड़ने पर निर्भर थे। लेकिन नए बंदरगाह और लॉजिस्टिक्स हब के विकास से इन क्षेत्रों में नौकरियाँ बढ़ेंगी। उदाहरण के लिए, ग्रीन हाइड्रोजन परियोजनाओं में तकनीकी और गैर-तकनीकी दोनों तरह की नौकरियाँ उपलब्ध होंगी, जैसे कि रखरखाव, लॉजिस्टिक्स प्रबंधन और प्रशासनिक कार्य।
स्थानीय युवाओं के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए जा सकते हैं, जो उन्हें इन नई भूमिकाओं के लिए तैयार करेंगे। तूतीकोरिन में, जहाँ मछली निर्यात एक प्रमुख व्यवसाय है, बंदरगाहों का आधुनिकीकरण छोटे व्यापारियों को वैश्विक बाजारों तक पहुँचने में मदद करेगा। इससे उनकी आय में वृद्धि होगी और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा।
पर्यावरण और समुदाय का संतुलन
ग्रीन हाइड्रोजन हब बंदरगाह भारत की पर्यावरणीय प्रतिबद्धताओं को दर्शाते हैं, क्योंकि ये हरित ऊर्जा पर आधारित हैं। लेकिन तटीय समुदायों के लिए इसका मतलब है पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना। मछुआरों को डर है कि बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य उनकी आजीविका को प्रभावित कर सकते हैं। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि परियोजनाएँ पर्यावरण-अनुकूल हों और मछली पकड़ने के क्षेत्रों को नुकसान न पहुँचाएँ। इसके लिए स्थानीय समुदायों के साथ परामर्श और पारदर्शी योजना आवश्यक है।
सामाजिक और आर्थिक प्रभाव
यह निवेश तटीय क्षेत्रों में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को भी बेहतर कर सकता है। उदाहरण के लिए, पारादीप में नए बंदरगाहों के साथ आने वाली आर्थिक समृद्धि स्कूलों और अस्पतालों के लिए अधिक फंडिंग ला सकती है। साथ ही, महिलाओं के लिए लॉजिस्टिक्स और प्रशासनिक क्षेत्रों में नौकरियाँ बढ़ेंगी, जिससे लैंगिक समानता को बढ़ावा मिलेगा।
चुनौतियाँ और भविष्य
हालाँकि यह योजना आशाजनक है, लेकिन चुनौतियाँ भी कम नहीं हैं। हाल के वर्षों में जलवायु परिवर्तन के कारण बाढ़ और चक्रवात जैसी घटनाएँ तटीय बुनियादी ढाँचे को नुकसान पहुँचा रही हैं। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि नए बंदरगाह जलवायु-प्रतिरोधी हों। साथ ही, स्थानीय समुदायों को परियोजनाओं में शामिल करने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए।
20 अरब डॉलर का समुद्री निवेश भारत के तटीय समुदायों के लिए एक सुनहरा अवसर है। यह न केवल आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा, बल्कि स्थानीय लोगों के जीवन स्तर को भी ऊपर उठाएगा। यदि सरकार और समुदाय मिलकर काम करें, तो यह निवेश तटीय भारत को वैश्विक व्यापार और स्थिरता का केंद्र बना सकता है।