भारत की सरकारी ऊर्जा कंपनी NHPC ने अपनी पहली स्टैंडअलोन बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS) परियोजना के लिए आंध्र प्रदेश में 275 मेगावाट / 550 मेगावाट-घंटे की दो साइटों का टेंडर जारी किया था। यह परियोजना कुप्पम (50 MW/100 MWh) और घानी (225 MW/450 MWh) नामक स्थानों पर स्थापित की जाएगी।
इस निविदा में ACME Solar Holdings ने सफलता प्राप्त की है। कंपनी ने कुप्पम के लिए ₹2.10 लाख प्रति मेगावाट प्रति माह और घानी के लिए ₹2.22 लाख प्रति मेगावाट प्रति माह की सबसे प्रतिस्पर्धी टैरिफ बोली दी। इस परियोजना के तहत बैटरियों को प्रतिदिन दो बार—प्रत्येक दो घंटे तक—पूर्ण चार्ज-डिसचार्ज चक्रों में संचालित करना अनिवार्य होगा।
भारत के ऊर्जा भविष्य में बैटरी स्टोरेज की भूमिका
इस परियोजना का उद्देश्य बिजली की आपूर्ति में स्थिरता लाना है, विशेष रूप से तब जब ग्रिड में सौर या पवन ऊर्जा की अधिकता हो या मांग अचानक बढ़ जाए। बैटरी स्टोरेज सिस्टम ग्रिड में फ्लक्स को कम करके ऊर्जा की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करेगा। ACME Solar के CCO राहुल कश्यप ने कहा:
“हम NHPC के इस महत्वपूर्ण बैटरी स्टोरेज प्रोजेक्ट का हिस्सा बनकर गौरवान्वित हैं। यह भारत के ऊर्जा संक्रमण को गति देगा और ग्रिड को अधिक लचीला बनाएगा।”
केंद्र सरकार इस प्रोजेक्ट को Viability Gap Funding (VGF) के माध्यम से आर्थिक सहायता भी प्रदान करेगी, जिसकी अधिकतम सीमा ₹27 लाख/MWh या कुल पूंजीगत लागत का 30% (जो भी कम हो) तय की गई है।
नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य की ओर एक और कदम
भारत ने 2030 तक 500 GW नवीकरणीय ऊर्जा की क्षमता स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। BESS जैसी परियोजनाएं इस दिशा में आवश्यक बुनियादी ढांचे को मजबूत करती हैं। यह प्रोजेक्ट देश में ऊर्जा की आत्मनिर्भरता और हरित भविष्य की नींव रखने में मदद करेगा।
ACME Solar के लिए यह बैटरी स्टोरेज क्षेत्र में पहला स्वतंत्र प्रवेश है, जो उनके नवीकरणीय पोर्टफोलियो को सोलर, हाइब्रिड और अब स्टोरेज तक विस्तारित करता है। इससे न केवल बाजार में उनकी स्थिति मजबूत होगी, बल्कि निवेशकों के लिए भी यह संकेत है कि कंपनी भविष्य की ऊर्जा ज़रूरतों के लिए तैयार है।