भारत में इंटरनेट क्रांति का एक नया अध्याय शुरू होने जा रहा है। लंबे इंतजार के बाद, अरबपति एलन मस्क की महत्वाकांक्षी सैटेलाइट इंटरनेट सेवा, स्टारलिंक को देश में काम करने के लिए लाइसेंस मिल गया है। केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस खबर की पुष्टि करते हुए कहा कि स्टारलिंक को भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सेवा शुरू करने के लिए एकीकृत लाइसेंस दे दिया गया है। स्पेक्ट्रम आवंटन और गेटवे स्थापना के लिए भी रूपरेखा तैयार है, जिससे इसके लॉन्च का रास्ता साफ हो गया है।
यह घोषणा भारत में पहली मोबाइल कॉल के 30 साल पूरे होने के मौके पर की गई, जो देश की डिजिटल यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। स्टारलिंक का भारत में आना उन करोड़ों लोगों के लिए उम्मीद की किरण है जो अभी भी विश्वसनीय और हाई-स्पीड इंटरनेट की पहुंच से दूर हैं।
क्या है स्टारलिंक और यह कैसे काम करेगा?
स्टारलिंक, मस्क की एयरोस्पेस कंपनी स्पेसएक्स (SpaceX) का एक हिस्सा है। यह पृथ्वी की निचली कक्षा (Low-Earth Orbit) में हजारों सैटेलाइट्स का एक नेटवर्क है जो सीधे यूजर्स के घरों में लगे एक छोटे डिश एंटीना तक इंटरनेट पहुंचाता है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह उन दूर-दराज़, पहाड़ी और ग्रामीण इलाकों में भी हाई-स्पीड इंटरनेट दे सकता है, जहाँ पारंपरिक फाइबर ऑप्टिक केबल बिछाना मुश्किल और महंगा है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत में स्टारलिंक 200Mbps तक की स्पीड दे सकता है। हालांकि, शुरुआत में इसकी सेवा को 20 लाख उपयोगकर्ताओं तक सीमित रखा जा सकता है और इसका मुख्य फोकस ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों पर होगा।
कितना होगा खर्च और कब होगी लॉन्चिंग?
भारत में स्टारलिंक की सेवाओं का लाभ उठाने के लिए ग्राहकों को एक हार्डवेयर किट खरीदनी होगी, जिसमें एक सैटेलाइट डिश और राउटर शामिल है। अनुमान है कि इस किट की कीमत लगभग ₹33,000 हो सकती है। इसके बाद, मासिक सब्सक्रिप्शन शुल्क लगभग ₹3,000 के आसपास रहने की उम्मीद है।
कंपनी ने 2021 में लाइसेंस के लिए आवेदन किया था, लेकिन कई नियामक बाधाओं के कारण इसमें देरी हुई। अब लाइसेंस मिलने के बाद, उम्मीद है कि स्टारलिंक अपनी सेवाएं 2025 के अंत या 2026 की शुरुआत तक भारत में लॉन्च कर सकती है। यह भी खबरें हैं कि सेवा के वितरण के लिए स्टारलिंक भारती एयरटेल और रिलायंस जियो जैसी भारतीय दूरसंचार कंपनियों की मदद ले सकती है।
बाजार में बढ़ेगी प्रतिस्पर्धा
स्टारलिंक के आने से भारत के सैटेलाइट इंटरनेट बाजार में मुकाबला और भी कड़ा हो जाएगा। इस क्षेत्र में भारती समूह समर्थित यूटेलसैट वनवेब (Eutelsat OneWeb) और जियो की लक्जमबर्ग स्थित एसईएस (SES) के साथ संयुक्त उद्यम पहले से ही मौजूद हैं, और वे भी अपनी सेवाओं को शुरू करने के लिए स्पेक्ट्रम आवंटन का इंतजार कर रहे हैं। इस प्रतिस्पर्धा से न केवल उपभोक्ताओं को बेहतर और सस्ते विकल्प मिलेंगे, बल्कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘डिजिटल इंडिया’ विजन को भी मजबूत करेगा, जिसका लक्ष्य देश के कोने-कोने तक डिजिटल सेवाओं को पहुंचाना है।