भारत सरकार ने देश के परिवहन और कनेक्टिविटी को नए स्तर पर ले जाने की दिशा में एक बड़ा ऐलान किया है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बताया है कि आने वाले 10 वर्षों में ₹3 लाख करोड़ की लागत से सुरंग परियोजनाएं (Tunnel Projects) तैयार की जाएंगी। यह कदम कठिन भौगोलिक इलाकों को जोड़ने, यात्रा को सुरक्षित और समय-बचत युक्त बनाने तथा सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण क्षेत्रों में कनेक्टिविटी सुधारने के उद्देश्य से उठाया जा रहा है।
रणनीतिक और आर्थिक दृष्टिकोण से अहम सुरंगें
गडकरी के अनुसार, इन सुरंग परियोजनाओं में लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और पूर्वोत्तर भारत जैसे सीमावर्ती और पर्वतीय क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जा रही है। इन इलाकों में सुरंगें बनाकर न केवल दुर्गम मार्गों को आसान बनाया जाएगा, बल्कि सामरिक दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों तक सीमाओं पर त्वरित पहुंच भी सुनिश्चित की जा सकेगी।
इसके अलावा, मैदानी और शहरी क्षेत्रों में भी ऐसे सुरंग मार्ग विकसित किए जाएंगे जो ट्रैफिक जाम की समस्या को कम करें और यात्रा के समय में कटौती करें। इससे लॉजिस्टिक्स सेक्टर को भी बड़ा लाभ मिलेगा।
आधुनिक तकनीक और पर्यावरणीय संतुलन
इन सुरंगों के निर्माण में अत्याधुनिक बोरिंग तकनीकों, डिजिटल मैपिंग, रीयल-टाइम सेंसर मॉनिटरिंग और पर्यावरण-अनुकूल डिज़ाइन का उपयोग किया जाएगा। गडकरी ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार परियोजनाओं को ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर के सिद्धांतों के अनुसार क्रियान्वित करना चाहती है, जिससे वन्य जीवन, जल स्रोतों और स्थानीय पारिस्थितिकी को न्यूनतम नुकसान हो।
यह भी उल्लेखनीय है कि सरकार सुरंगों के साथ-साथ कनेक्टिंग रोड्स, हेलीपैड्स और इमरजेंसी सुविधाओं का भी विकास करेगी।
रोजगार और विकास की नई राह
इन सुरंग परियोजनाओं के माध्यम से लाखों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा। स्थानीय मजदूरों, इंजीनियरों और कंस्ट्रक्शन कंपनियों को नए अवसर मिलेंगे। साथ ही, दूरदराज के क्षेत्रों में व्यापार और पर्यटन की संभावनाएं भी बढ़ेंगी।
गडकरी ने यह भी कहा कि सरकार सुरंग निर्माण में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल को भी अपनाएगी, जिससे निजी क्षेत्र की विशेषज्ञता और पूंजी का लाभ भी लिया जा सके।